हमने देखा है कि आम-तौर पर पशुपालक गाय-भैंस को वर्ष के अधिकतर महिनों में भूसा अथवा पुआल जैसे सूखा चारा के साथ-साथ कुछ हरी घास या हरा चारा खिलाते है, जिस्से गाय-भैंस का पेट तो भर जाता है, परंतु उनसे गाय-भैंस को आवश्यक सभी पोषक तत्वों की पूर्ति नहीं हो पाती है। इसलिए वैज्ञानिकों द्वारा यह आवश्यक माना गया है कि गाय-भैंस के नियमित आहार में कुछ ऐसे खाद्य मिश्रण का समुचित मात्रा (appropriate quantity) में समावेश कर दिया जाए, जिसमें सभी पोषक तत्त्व संतुलित मात्रा (balanced quantity) में हो और जिसे चारा के अतिरीक्त (in addition to) प्रतिदिन खिलाया जाए।
प्रायः ऐसे मिश्रण विभिन्न प्रकार के अनाजों, उनके उत्पादों, विभिन्न खलियों तथा खनिज लवणों आदि को मिलाकर बनाये जाते हैं, ऐसे मिश्रण को ही संतुलित पशु आहार के नाम से जाना जाता है। यदि पशुपालकों की ऐसी मान्यता है कि केवल अनाज/ चूरी/ खली खिलाकर गाय-भैंस से पूर्ण दूध उत्पादन ले लेंगे, तो यह धारणा सर्वथा गलत है।
गाय-भैंस को संतुलित पशु आहार देते समय उनके शारीरिक-भार, उत्पादनशीलता, कार्य, शारीरिक वृद्धि तथा गर्भ आदि अवस्थाओं का ध्यान रखने की आवश्यकता है।
संतुलित पशु आहार को सामान्यतः दो श्रेणियों में रखा जा सकता है,
1. जीवन निर्वाह आहार (मेंटेनेंस राशन)
2. दूध उत्पादन हेतु आहार (प्रोडक्शन राशन)
जीवन निर्वाह आहार की मात्रा निर्धारित करते समय पशु की आयु व शरीर भार को ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है।
राशन बैलेंसिंग पद्धति से गाय-भैंस को आहार खिलाने से न केवल उनके स्वास्थय और दूध उत्पादकता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह दूध उत्पादन की लागत को भी काफी कम करता है, जिससे पशुपालक की आय में बढ़ोतरी होती है।